मैं कर जोडे
विनती करूँ
लिए अर्घ्य की धार
निर्जला जल में खड़ी
करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार
हे सूर्यदेव ! जग के प्राणाधार !!
दीर्घायु हो संतान
और झिलमिलाता रहे
मांग का सिंदूर
मांग रही आशीर्वाद
विश्व -शांति का और
भरा रहे अन्न -धन से घर- द्वार
करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार
हे सूर्यदेव ! जग के प्राणाधार !!
Ranjana Verma